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विशेषण किसे कहते है – 2024 | विस्तार से हिंदी मे

Amresh Mishra

Updated on:

Visheshan Ke Kitne Bhed Hote
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सभी भाषाओं में विशेषण (Adjective) एक महत्वपूर्ण भाग होता है। यह शब्दों को सजावट और सौंदर्य देने में मदद करता है। विशेषण वाक्य को और भी स्पष्ट और सहज बनाता है और भाषा को गहराई से समझाता है।

विशेषण एक शब्द होता है जो किसी संज्ञा या क्रिया की विशेषता, गुण, या स्थिति को व्यक्त करता है। यह भाषा को रंगीन बनाने में मदद करता है और व्यक्ति या वस्तु की विशेषताओं को समझाने में सहायक होता है।

विशेषणों के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि गुणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण, स्थानवाचक विशेषण, और क्रियावाचक विशेषण। प्रत्येक प्रकार का विशेषण वाक्य में अपने विशेष संदेश को प्रकट करने में मदद करता है।

भाषा के संरचनात्मक अंग में विशेषण (Adjective) एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विशेषण एक ऐसा शब्द होता है जो संज्ञा या क्रिया की विशेषता, गुण, या स्थिति को व्यक्त करता है। यह शब्दों को समृद्ध बनाने में मदद करता है और उन्हें अधिक सार्थक बनाता है।

विशेषण किसे कहते हैं?

विशेषण वाक्य के अंग होते हैं जो संज्ञा या क्रिया की विशेषता को व्यक्त करते हैं। इसके माध्यम से हम किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों, रंग, आकार, संदर्भ, या स्थिति को बयां करते हैं। विशेषण वाक्य को अधिक समर्पित बनाता है और उसका मतलब स्पष्ट करता है।

विशेषण के भेद

  1. गुणवाचक विशेषण: यह विशेषण व्यक्ति या वस्तु के गुणों को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए: लाल, सुंदर, बड़ा, छोटा, ऊंचा।
  2. संख्यावाचक विशेषण: यह विशेषण व्यक्ति या वस्तु की संख्या को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए: एक, दो, तीन, अनेक।
  3. स्थानवाचक विशेषण: यह विशेषण व्यक्ति या वस्तु के स्थान को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए: यहाँ, वहाँ, इस पास, उस पास।
  4. क्रियावाचक विशेषण: यह विशेषण किसी क्रिया के लिए उपयुक्त स्थिति को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए: चलनेवाला, खड़ा, बैठा।

ये भी पढ़े :

  1. वह लाल गुलाब बहुत सुंदर दिखता है। (गुणवाचक विशेषण)
  2. उसने तीन किताबें खरीदीं। (संख्यावाचक विशेषण)
  3. यहाँ बैठो, मैं तुम्हें बताता हूँ। (स्थानवाचक विशेषण)
  4. वह खड़ा दरवाज़े के बाहर इंतजार कर रहा है। (क्रियावाचक विशेषण)

इस प्रकार, विशेषण भाषा में व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण अंग है जो वाक्यों को अधिक समर्पित और स्पष्ट बनाता है। इसके माध्यम से हम अपने भाषा को और अधिक समृद्ध और प्रभावशाली बना सकते हैं।

विशेषण कितने प्रकार के होते है – Visheshan Ke Prakar सामान्यतया विशेषण के भेदो को ही विशेषण के प्रकार के रूप में जाना जाता है। अतः विशेषण के प्रकार भेद ही होंगे।

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  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण

गुणवाचक विशेषण किसे कहते है ?

जो शब्द किसी वस्तु अथवा व्यक्ति के रूप, रंग, अवस्था, आकार या दोष आदि को प्रकट करते है उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते है। जैसे शुद्ध, अच्छा, छोटा, सुंदर, मोटा, कड़वा, मीठा, डरपोक, ईमानदार, बेईमान, दानी, सत्यवादी, घना, गहरा, चमकीला, पूरा आद

विशेषण की तुलना की दृष्टि से मुख्यत तीन अवस्थाएँ मानी गई है –

  1. मूलावस्था – उच्च, लघु, गुरु, ज्येष्ठ
  2. उत्तरावस्था – उच्चतर, लघुतर, गुरुतर, ज्येष्ठतर
  3. उत्तमावस्था – उच्चतम, लघुतम, गुरुतम, श्रेष्टतम

विशेषण के कुछ उदाहरण इन हिंदी 

( क ) रमेश बुद्धिमान लड़का हैं – इस वाक्य में रमेश तथा लड़का तो संज्ञा है जबकि उनकी विशेषता बताने वाला शब्द ”बुद्धिमान” विशेषण होगा।

( ख ) गाय का दूध पौष्टिक होता है – इस वाक्य में गाय और दूध विशेषण है जबकि विशेषता बता रहा शब्द ”पौष्टिक” विशेषण है।

अंतिम शब्द

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने विशेषण के महत्व को समझा और इसके भेदों के बारे में जानकारी प्राप्त की। विशेषण हमारी भाषा के एक अहम हिस्से को निखारते हैं और हमें समृद्ध और संवेदनशील भाषा में संवाद करने में सहायक होते हैं। इससे हमें अपने विचारों और अभिव्यक्तियों को सही रूप से प्रकट करने में मदद मिलती है। अतः, विशेषण भाषा के विविधता और समृद्धता को बढ़ाते हैं और हमें विचारों को सही ढंग से व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करते हैं।

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