Funny Poem In Hindi – बात सीधी थी पर
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेडी फंस गई
उसे पाने की कोशिश में
भाषा को उल्टा-पलटा
तोडा-मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आये
लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गयी
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
में पेंच को खोलने के बजाये
उसे बेतरह कस्ते चला जा रहा था
क्योकि इस करतब पर मुझे
साफ़ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनो की शाबासी और वाह-वाह
आख़िरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी
हार कर मेने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोक दिया
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से न तो उसमे कसाव था
और न ताकत
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी
मुझे पसीना पोछते देखकर पूछा
क्या तुमने कभी भाषा को
सहूलियत से बरतना नहीं सीखा।
आखिरकार वही हुआ
बात सीधी थी पर
टेढ़ी हो गयी।
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