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चाँद से थोड़ी सी गप्पे – Moon Poem In Hindi

Amresh Mishra

Updated on:

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चाँद से थोड़ी सी गप्पे :- चाँद से जुड़ी हर बात हमेशा ही रही है खास, उसकी रोशनी ने हमेशा हमें विचारों में खो दिया है। चाँद के साथ बिताए गए कुछ पल अनगिनत कहानियों की तरह हैं, जो हमारे जीवन को सजाते हैं और उसमें नई रौनक भरते हैं। इस कविता में, मैं चाँद से जुड़ी कुछ छोटी-सी गप्पों को अपने शब्दों में पिरोने का प्रयास करता हूँ। चाँद की कहानियाँ हमेशा हमें नई सोच और नए सपने देती हैं, और यह कविता उन्हीं कहानियों का एक छोटा सा अंश है।

प्रस्तुत Moon Poem In Hindi एक छोटी सी लगभग ग्यारह-बारह वर्ष की बालिका द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक ”चाँद से थोड़ी गप्पे” रखा गया है। इस कविता में बालिका चन्द्रमा के बारे में गहन विचार पोएम के माध्यम से दुनिया को सुना रही है।  
गोल है खूब मगर 

आप तिरछे नजर आते है जरा 

आप पहने हुए है कुल आकाश 

तारो से जड़ा 

सिर्फ मुँह खोले हुए हो अपना 

गोरा चिटा 

गोल मटोल 

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अपनी पोशाक को फैलाये हुए चारो सिम्त 

आप कुछ तिरछे नजर आते है जाने कैसे 

खूब ही गोकि 

वाह जी वाह!

हमको बुद्धु ही नीरा समझा 

हम समझते ही नहीं जैसे की 

आपको बीमारी ही 

आप घटते हो तो घटते ही चले जाते हो 

आप बढ़ते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो 

दम नहीं लेते है जब तक बिलकुल ही गोल 

न हो जाये 

बिलकुल गोल 

यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है !!

चाँद से थोड़ी सी गप्पे कविता का व्याख्या

यह कविता “चाँद से थोड़ी सी गप्पे” हमें चाँद के साथ जुड़ी छोटी-सी बातों की महत्वपूर्णता को अनुभव कराती है। चाँद के साथ विचार करना और उसके साथ गप्पे लगाना हमारे जीवन में खास पलों का आनंद लाता है। इस कविता में कवि ने चाँद को एक दोस्त की भूमिका में पेश किया है, जिसके साथ हम अपने मन की बातें शेयर करते हैं। चाँद की रोशनी हमें नई दिशाओं में सोचने और सपने देखने की प्रेरणा देती है। इस कविता के माध्यम से कवि ने हमें यहाँ बताया है कि छोटी-सी चीजों में भी खुशियाँ छुपी होती हैं और हमें उन्हें सराहने की कला सीखनी चाहिए। चाँद से जुड़ी गप्पों में हमें स्वयं को खो देने का आनंद मिलता है और एक नये प्रेम के साथ अपने स्वप्नों की यात्रा पर निकलते हैं।

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श्री शमशेर बहादुर सिंह द्वारा लिखा गया है

श्री शमशेर बहादुर सिंह एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका जन्म 23 दिसंबर, 1886 को हुआ था और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में अपना समर्थन दिया।

शमशेर बहादुर सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के समय विभाजन के विरुद्ध एकता का संदेश दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसा और अध्यात्म के सिद्धांतों का समर्थन किया। उनका संघर्ष और उनकी पराक्रमी गुणवत्ता ने लोगों को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने के लिए प्रेरित किया।

शमशेर बहादुर सिंह का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है। उनकी वीरता, समर्थन और निष्ठा ने भारतीय जनता को एक साथ आने के लिए प्रेरित किया और उन्हें स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने का साहस दिया। उनकी स्मृति को सदैव सम्मान और श्रद्धांजलि के साथ याद किया जाता है।

श्री शमशेर बहादुर सिंह द्वारा लिखा गया अन्य कविता

मुझे खेद है, मगर उसकी ग़लती नहीं।
मैं भूल गया, वह मैं था, मैं ही था खोजने का सहारा।
जीवन के संघर्षों में डूबा हुआ,
खोया हुआ, खोजते-खोजते, सारा।

अंधेरे में भटकता, हर रास्ता बुरा लगता था,
पर मेरी आंखों को खोला उसने, रोशनी की आस के साथ।
मैं खो बैठा था, खुद को, अपने आप को,
पर उसने मुझे पुनः पाया, मेरी खोई हुई पहचान को।

उसने सिखाया, हर दिन एक नया सफ़र है,
हर चुनौती एक मौका, हर पराजय एक सबक।
मैं जीता हूँ, क्योंकि उसने साथ दिया,
मेरी नाकामियों को भूला दिलाया, जीवन को प्यार से जीने का तरीका बताया।

धन्य हूँ मैं उस शमशेर बहादुर सिंह का,
जिसने मुझे दिखाया सही रास्ता, सही दिशा।
उसकी कविता में छिपा है सत्य, ज्ञान, और प्रेरणा,
उसके शब्दों में है समय की महक, उसके कलम से निर्मित एक नया अध्याय, नया प्रारंभ।

अंतिम शब्द,

शमशेर बहादुर सिंह की कविता में उन्होंने जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को सुंदरता से प्रस्तुत किया। उनकी कविता न सिर्फ ज्ञान का स्रोत है, बल्कि उसमें उनके जीवन के अनुभवों की गहराई से भरी है। वे अपने शब्दों के माध्यम से प्रेरणा और साहस की भावना को प्रकट करते हैं। शमशेर बहादुर सिंह की कविता से हमें सीखने की अनगिनत बातें मिलती हैं। उनकी कलम से निर्मित ये शब्द हमें एक नई राह दिखाते हैं, जो हमें जीवन में सफलता की ओर ले जाती है। अगर ये कविता पसंद पड़ा तो अपने दोस्तों के पास जरुर शेयर करे ।

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