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सर्वनाम किसे कहते है ? परिभाषा, भेद, प्रकार

Amresh Mishra

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सर्वनाम किसे कहते है
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सर्वनाम किसे कहते है: भाषा मानव संवाद का महत्वपूर्ण साधन है, और उसके तत्वों में से एक है “सर्वनाम”। सर्वनाम शब्द होते हैं जो व्यक्ति, स्थान, वस्तु, या भाव को संकेतित करते हैं, बिना किसी नाम या विशेष संज्ञा का प्रयोग किए। इन सर्वनामों का प्रयोग हमें वाक्य को संवेदनशील और संक्षिप्त बनाने में मदद करता है।

सर्वनामों का प्रमुख उद्देश्य एक ही होता है – व्यक्ति या वस्तु की पहचान करना बिना उसके नाम का प्रयोग किए। “मैं”, “तू”, “वह”, “हम”, “तुम”, “आप” आदि, ये सर्वनाम व्यक्ति की भूमिका को स्थायीत करने में मदद करते हैं और संवाद को सीधा बनाते हैं।

सर्वनाम भाषा का साधारणीकरण का महत्वपूर्ण अंग होते हैं, क्योंकि इन्हें प्रयोग करके हम वाक्यों को अधिक संक्षिप्त और प्रभावी बना सकते हैं। यह वाक्यों को स्पष्ट और सहज बनाने में मदद करता है, जिससे संवाद की अधिक सहजता और संवेदनशीलता होती है।

संक्षिप्त में कहें तो, सर्वनाम भाषा की एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं, जो संवाद को सरल और संवेदनशील बनाते हैं। इनका उपयोग भाषा के संरचन में महत्वपूर्ण होता है, जिससे वाक्यों का अर्थ स्पष्ट होता है और संवाद में अधिक सहजता आती है।

चलिए विस्तार से जानते हैं की सर्वनाम किसे कहते हैं और इसके कितने भेद होते हैं.

सर्वनाम किसे कहते हैं?

सर्वनाम (Pronouns) भाषा में वे शब्द होते हैं जो व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव की स्थान-परिकल्पना के लिए प्रयुक्त होते हैं। सर्वनाम वाक्य में उस व्यक्ति, स्थान, या वस्तु की जगह लेते हैं, जिसे हम पहले से ही जानते हैं या जिसका संदेश वाक्य में पहले से ही स्पष्ट होता है। ये वाक्य को संक्षेपित और स्पष्ट बनाने में सहायक होते हैं।

सर्वनाम किसे कहते है ?

सर्वनाम के प्रमुख भेद सहित परिभाषा :

  1. व्यक्तिवाचक सर्वनाम: ये सर्वनाम उस व्यक्ति को संदर्भित करते हैं जिससे बात हो रही होती है, जैसे – ‘वह’, ‘यह’, ‘तुम’, ‘हम’, ‘आप’ आदि।
  2. स्थानवाचक सर्वनाम: ये सर्वनाम किसी स्थान को संदर्भित करते हैं, जैसे – ‘वहाँ’, ‘यहाँ’, ‘कहाँ’ आदि।
  3. संख्यावाचक सर्वनाम: ये सर्वनाम किसी संख्या को संदर्भित करते हैं, जैसे – ‘एक’, ‘दो’, ‘तीन’, ‘कई’ आदि।
  4. परिमाणवाचक सर्वनाम: ये सर्वनाम किसी परिमाण को संदर्भित करते हैं, जैसे – ‘बहुत’, ‘कितना’, ‘कम’, ‘अधिक’ आदि।
  5. निर्देशवाचक सर्वनाम: ये सर्वनाम किसी दिशा को संदर्भित करते हैं, जैसे – ‘यहाँ’, ‘वहाँ’, ‘ऊपर’, ‘नीचे’ आदि।

ये प्रमुख सर्वनाम भाषा में संज्ञा की भांति कार्य करते हैं, और वाक्य को संवेदनशील बनाने में मदद करते हैं।

सर्वनाम कई प्रकार के होते हैं

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उदाहरण:

  1. उसने अपना काम किया। (यहाँ ‘उसने’ स्त्रीवाचक सर्वनाम है।)
  2. मैंने उसे देखा। (यहाँ ‘मैंने’ पुरुषवाचक सर्वनाम है।)
  3. वह खुश नहीं है। (यहाँ ‘वह’ स्त्रीवाचक सर्वनाम है।)
  4. क्या यह आपका है? (यहाँ ‘यह’ नपुंसकवाचक सर्वनाम है।)

इस तरह, सर्वनाम भाषा को संक्षेपित और स्पष्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सर्वनाम किसे कहते है ? सर्वनाम की परिभाषा (Sarvanam Ki Pribhasha )

सर्वनाम (Pronouns) भाषा में वे शब्द होते हैं जो व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव की स्थान-परिकल्पना के लिए प्रयुक्त होते हैं। सर्वनाम वाक्य में उस व्यक्ति, स्थान, या वस्तु की जगह लेते हैं, जिसे हम पहले से ही जानते हैं या जिसका संदेश वाक्य में पहले से ही स्पष्ट होता है। ये वाक्य को संक्षेपित और स्पष्ट बनाने में सहायक होते हैं।

सर्वनाम के कितने भेद होते है ? सर्वनाम के कितने प्रकार होते है ? (Sarvanam Ke Bhed)

सर्वनाम के छः भेद या प्रकार होते है –

सर्वनाम व्याकरण में एक महत्वपूर्ण विधिवत् और प्रभावी भाग है। यह शब्द होते हैं जो अन्य शब्दों के स्थान पर प्रयोग होते हैं, और वाक्य को सुगम बनाने में मदद करते हैं। सर्वनाम की उपयोगिता व्याकरण में सर्वसाधारण है, क्योंकि यह भाषा को संगठित और अर्थपूर्ण बनाने में सहायक होते हैं। इसलिए, सर्वनाम को ‘भाषा का गुणी अंग’ माना जाता है।

  1. व्यक्तिगत सर्वनाम: इस प्रकार के सर्वनाम व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे – ‘मैं’, ‘तुम’, ‘वह’, ‘हम’, ‘तुम्हारा’, ‘मेरा’ आदि।
  2. सामान्य सर्वनाम: इस प्रकार के सर्वनाम जाति, वर्ग, या सामान्य वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे – ‘यह’, ‘वहाँ’, ‘कुछ’, ‘कोई’, ‘हर कोई’, ‘सभी’, ‘कितना’ आदि।
  3. संबंध सर्वनाम: इस प्रकार के सर्वनाम संबंधों को संदर्भित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे – ‘जिसका’, ‘जिसकी’, ‘जिसके’, ‘जिससे’, ‘जिसपर’, ‘जिसमें’ आदि।
  4. संज्ञावाची सर्वनाम: इस प्रकार के सर्वनाम किसी विशेष वस्तु को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे – ‘यहाँ’, ‘वहाँ’, ‘जिधर’, ‘जिधर’, ‘जैसा’, ‘जैसी’, ‘जैसे’ आदि।
  5. सर्वनाम भाषा को सुगम और संगठित बनाने के साथ-साथ, वाक्य को भी व्यावसायिक और प्रभावी बनाते हैं। ये वाक्य को अधिक विविध बनाते हैं और पुनरावलोकन की आवश्यकता को कम करते हैं।

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संक्षेप में कहें तो, सर्वनाम भाषा के एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य अंग हैं, जो भाषा को संगठित और संवेदनशील बनाते हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए लिखने और बोलने में प्रयोग किया जाना चाहिए, ताकि भाषा का अध्ययन प्रभावी रूप से हो सके।

सर्वनाम का प्रयोग बोलचाल और लेखन दोनों में होता है, और यह भाषा को एकत्रित करने और संदेश को स्पष्ट करने में मदद करता है। इसके अलावा, सर्वनाम बोलचाल भाषा में संज्ञा और क्रिया का पुनर्प्रयोग करने से बचाव करते हैं, और भाषा को उदार और प्रभावी बनाते हैं।

अंतिम शब्द,

मुख्य सर्वनाम वाक्यों में व्यक्ति या वस्तु के सीधे संदर्भ के लिए प्रयोग होते हैं, जैसे “मैं”, “तू”, “वह”, “हम”, “तुम”, “आप” इत्यादि। इन सर्वनामों का उपयोग भाषा में व्यक्ति की भूमिका को स्थायीत करने और भाषा को संवेदनशीलता से भरने में सहायक होता है। ये सर्वनाम अनेक भाषाओं में पाए जाते हैं और संज्ञाओं की भाँति कार्य करते हैं, लेकिन बिना किसी नाम के।

आज इस पोस्ट में हमने बताया की सर्वनाम किसे कहते हैं और इसके कितने भेद होते हैं! अगर आप इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से हमें बताएं.

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