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मेरा प्रिय खिलाडी पर निबंध हिंदी में

Amresh Mishra

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मेरा प्रिय खिलाडी: मेरा प्रिय खिलाड़ी [खिलाड़ी का नाम] है। [खिलाड़ी का नाम] ने अपने खेलकूद के क्षेत्र में उत्कृष्टता की ऊंचाइयों को छूने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी प्रतिभा, संघर्षशीलता, और उत्साह उन्हें मेरे लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनाते हैं।

[खिलाड़ी का नाम] का जन्म और प्रारंभिक जीवन के बारे में कुछ लिखें। उनकी खेल करने की शुरुआत कैसे हुई, और उन्हें खिलाड़ी बनने की प्रेरणा कैसे मिली।

उनकी खेलकूदी में अद्वितीयता और उत्कृष्टता देखने को मिलती है। [खिलाड़ी का नाम] ने अपने क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते हैं और उनका नाम अपनी शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। उनकी सफलता के पीछे उनकी दृढ़ संघर्षशीलता, अदम्य संवेदनशीलता, और अथक मेहनत का अद्भुत संगम है।

[खिलाड़ी का नाम] की खेलकूदी से न केवल उनका स्वतंत्र विकास हुआ है, बल्कि उन्होंने देश और समाज के लिए भी एक उत्कृष्ट नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।

[खिलाड़ी का नाम] का खेलकूदी करने का उत्साह मेरे लिए एक अद्वितीय स्रोत है। उनके संघर्ष, सफलता, और अनुभव मेरे लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत रहेंगे।

खेलो का जीवन शिक्षित और विकसित करने में अहम योगदान होता है। दुनिया में हर एक मनुष्य किसी ना किसी खेल में गहरी रूचि रखता है चाहे वो फुटबॉल हो या फिर क्रिकेट सभी के अपने पसंदीदा और प्रेरणा देने वाले सख्स होते है जिन्हे हम मेरा प्रिय खिलाडी मानते है। आज की इस पोस्ट में हम मेरा प्रिय खिलाडी विषय के ऊपर एक छोटा सा 500 शब्दों का निबंध प्रस्तुत कर रहे है। 

मेरा प्रिय खिलाडी पर निबंध हिंदी में 

प्रस्तावना – खेलों का मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। खेलो से हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इस प्रकार खेल शिक्षा की भाँति ही मनुष्य की प्रगति में योगदान करते है। 

परिचय – फुटबॉल मुझे बचपन से ही पसंद रहा है। फुटबॉल के संसार में पेले का नाम उसी प्रकार प्रसिद्ध है जैसे हॉकी में ध्यानचंद्र जगप्रसिद्ध है। पेले के पिता ने अपने पुत्र का नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के नाम पर एडसन रेटेस नेसिमेंटो रखा था। फुटबॉल के खेल को ऊंचाई तक पहुँचाने में पेले का महान योगदान है। 

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पेले दक्षिण अमेरिका के ब्राजील का निवासी था। उनके खेल को ब्राजील और दक्षिण अमेरिका खेल के रूप में पहचाना जाता था। पेले के फुटबॉल ने विश्व में ब्राजील अर्जेंटीना और पराग्वे जैसे देशो को प्रसिद्धि और सम्मान दिलाया है। 

बचपन से ही फुटबॉल में रूचि – पेले की रूचि फुटबॉल खेलने में बचपन से ही थी। ब्राजील के एक छोटे से शहर में एक गरीब परिवार रहता था, इसी परिवार में जन्मा पेले जुराब में कागज के टुकड़े भरकर गेंद बनाकर खेला करता था। वह चाय की दुकान पर काम करता था। 16 जुलाई सन 1950 में ब्राजील फीफा विश्वकप का आयोजन हुआ था। 

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मेरा प्रिय खिलाडी

रियो में ब्राजील का मुकाबला उरुग्वे से था। सेकंड हाफ के दूसरे मिनट में ब्राजील की टीम के फॉरवर्ड फ्रियका ने विपक्षी टीम पर गोल दाग दिया था लेकिन उसके बाद टीम उरुग्वे ने दो गोल दाग दिए। अंतिम स्कोर उरुग्वे दो और ब्राजील एक रहा। अपने पिता को रोते हुए देखकर पेले ने वादा किया कि वह विश्वकप जीतकर लाएगा। उस समय पेले की उम्र महज नौ साल थी। 

फुटबॉल और पेले – पेले को फुटबॉल और फुटबॉल को पेले के नाम से पुकारना अनुचित नहीं है। अपने दो दशकों के करियर में पेले को फुटबॉल खेल को अद्भुत उचाइयां दी थी। उसकी बिजली जैसी गति, चीते के समान फुर्ती, सीने पर गेंद को साधकर आगे बढ़ना, आश्चर्य जनक ड्रिब्लिंग और हेडर के द्वारा गेंद को गोल में प्रवेश करवाने को उसका व्यक्तिगत कौशल ही कहा जायेगा।  

सन 1958 के विश्वकप फाइनल मैच में स्वीडन एक गोल से आगे हो गया था तब पेले के कारण ब्राजील यह मैच पांच-दो से जीता था इसमें से दो गोल पेले ने किये थे। उस समय पेले की आयु 17 वर्ष थी। 

फुटबॉलर और लेखक – पेले अपने फुटबॉल के खेल के लिए प्रसिद्ध था। उनके कारण दक्षिण अमेरिका और ब्राजील को काफी प्रसिद्धि और प्रसंशा प्राप्त हुई। पेले एक महान खिलाडी तो थे ही साथ ही एक अच्छे लेखक भी थे। फुटबॉल से संन्यास लेने के कई वर्षो बाद पेले ने अपनी आत्मकथा लिखी। इसमें उसने अपने बचपन की गरीबी, चाय की दुकान पर काम करने तथा जुराब में कागज के टुकड़े भरकर बनाई गई गेंद से खेलने का जिक्र भी किया। पेले की दूसरी किताब ”पेले : ह्वाइ सॉकर मैटर्स” भी प्रकाशित हो चुकी है। 

निबंध का उपसंहार – पेले फुटबॉल का पर्याय है। अपनी शक्ति और खेलने को कला के द्वारा पराजय को जीत के शिखर पर पहुँचाने की गाथा का नाम ही पेले है। फुटबॉल के खेल को चाहने वाला कोई भी व्यक्ति पेले को कभी नहीं भूल सकता। 

अंतिम शब्द,

अंतिम शब्द

[खिलाड़ी का नाम] की कहानी हमें सिखाती है कि सपनों की पूर्ति के लिए कितनी भी मेहनत और संघर्ष की जरूरत होती है। उनका उत्साह और उत्कृष्टता हमें सच्चे योद्धा बनने की प्रेरणा देते हैं।

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