सहर्ष स्वीकारा है – Motivational Poem In Hindi
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ Motivational Poem In Hindi में शेयर करने जा रहे है, यदि आपको यह Hindi Motivational Poem पसंद आये तो इसे शेयर करना बिलकुल भी ना भूले।
दोस्तों यह मोटिवेशनल कविता आपको जीवन में आगे बढ़ने तथा प्रेरित करने के लिए है।
कवी के अपने जीवन में जो कुछ भी कार्य किये है, जिन कामो के लिए वह जाना जाता हैं, या जिन कामो से वह घिरा हुआ है उन सब कामो का प्रेरणा स्रोत उसका प्रिय है। उसके जीवन में जो कुछ भी पहले था तथा आज जो कुछ उसके पास है उन सब को कवी ने सहर्ष स्वीकारा है अर्थात प्रसन्तापूर्वक स्वीकार किया है।
जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है,
सहर्ष स्वीकारा है,
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है,
वह तुम्हे प्यारा है।
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है,
इसलिए की पल पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है –
संवेदन तुम्हारा है।
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उड़ेलता हूँ, भर भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है ?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद जो धरती पर रात भर
मुझ पर तो तुम्हारा ही खिलता चेहरा है।
सचमुच मुझे दंड दो कि भूल में, भूल में
तुम्हे भूल जाने कि
दक्षिण ध्रुवी अंधकार अमावस्या
शरीर पर चेहरे पर अंतर् में पा लू में
झेलू में उसी में नहा लू में
इसलिए की तुमसे ही प्रिवेस्टीट आच्छादित
रहने का रमणीय उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
नहीं सहा जाता है।
ममता के बादल की मंडराती कोमलता –
भीतर पिराती है
कमजोर और अक्षम अब हो गई आत्मा यह
छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है
बहलाती सहलाती आत्मीयता बर्दास्त नहीं होती है।
जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है,
सहर्ष स्वीकारा है,
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है,
वह तुम्हे प्यारा है।
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है,
इसलिए की पल पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है –
संवेदन तुम्हारा है।
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उड़ेलता हूँ, भर भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है ?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद जो धरती पर रात भर
मुझ पर तो तुम्हारा ही खिलता चेहरा है।
सचमुच मुझे दंड दो कि भूल में, भूल में
तुम्हे भूल जाने कि
दक्षिण ध्रुवी अंधकार अमावस्या
शरीर पर चेहरे पर अंतर् में पा लू में
झेलू में उसी में नहा लू में
इसलिए की तुमसे ही प्रिवेस्टीट आच्छादित
रहने का रमणीय उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
नहीं सहा जाता है।
ममता के बादल की मंडराती कोमलता –
भीतर पिराती है
कमजोर और अक्षम अब हो गई आत्मा यह
छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है
बहलाती सहलाती आत्मीयता बर्दास्त नहीं होती है।
सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊ
पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवेरो में
धुएं के बादलो में
बिलकुल लापता में।
लापता की वहां भी तो तुम्हारा ही सहारा है।
इसलिए की जो कुछ भी मेरा है
या मेरा होता सा लगता है, होता सा संभव है
सभी वह तुम्हारे ही कारणों के कार्यो का घेरा है कार्यो का वैभव है
अब तक जिंदगी में जो कुछ था जो कुछ है
सहर्ष स्वीकारा है,
इसलिए की जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हे प्यारा है।
यदि आपको यह Hindi Motivational Poem पसंद आये तो इसे शेयर करना बिलकुल भी ना भूले।