अपठित काव्यांश | अपठित पद्यांश का उदाहरण हल सहित

अपठित काव्यांश क्या है ? 

अपठित काव्यांश किसी कविता अथवा पद्य का वह अंश ( भाग ) है, जो पाठ्यपुस्तक में अध्ययन के लिए निर्धारित किसी भी कविता से संबंधित न हो। परीक्षाओ के अंतर्गत प्रशन-पत्र में पहले न पढ़ी हुयी किसी कविता से 100-150 शब्दों का काव्यांश दिया जाता है तथा उससे संबंधित चार बोधात्मक ( लघुरात्मक ) प्रशन पूछे जाते है। प्रत्येक प्रशन के लिए दो अंक निर्धारित होते है। इन प्रशनो के उत्तर आपको उसी काव्यांश के आधार पर अपने शब्दों में देने होते है। 

अपठित काव्यांश को हल करते समय ध्यान देने योग्य बिंदु 

  • सर्वप्रथम पुरे काव्यांश को शांति के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े। 
  • यदि आपको उसका भावार्थ समझ में नहीं आ रहा है तो घबराये नहीं, उसे पुनः पढ़े। इस बार शब्दों पर ध्यान देकर उनका अर्थ समझने का प्रयास करे। 
  • आपसे यह आशा नहीं की जाती है कि आप पूरी कविता के प्रत्येक शब्द का अर्थ जान लेंगे। इस कारण आपको व्याकुल और निराश होने की जरुरत नहीं है। अब आप काव्यांश के निचे दिए गए प्रशनो को पढ़े तथा उनका उत्तर पद्यांश को पढ़कर तलाशने का प्रयास करे। 
  • एक या दो बार के प्रयत्न से आपको प्रशनो के उत्तर मिल जायेंगे। काव्यांश का स्थूल भाव समझ में आने पर प्रशनो का उत्तर देने में सरलता होगी। 
  • सभी प्रशनो के उत्तर स्पष्ट शब्दों में लिखे। यदि पद्यांश की किसी पंक्ति के माध्यम से प्रतीक की बात कही गई हो तो उसको सपष्ट करना अत्यंत आवशयक है, इसके लिए आप उत्तर विस्तार से लिख सकते है। 


अपठित काव्यांश का उत्तर देते समय अपना आत्मविश्वाश बनाये रखे।  


हल सहित अपठित काव्यांश का उदाहरण

अपठित काव्यांश या पद्यांश 


यह अवसर है, स्वर्णिम युग है, खो न इसे नादानी में,
रंगरेलियां में, छेड़छाड़ में, मस्ती में, मनमानी में। 
तरुण विश्व की बागडोर ले तू अपने कठोर कर में,
स्थापित कर रे मानवता बर्बर नृशंश के उर में। 
दम्भी को कर ध्वस्त धरा पर अस्त-त्रस्त पाखंडो को,
करुणा शांती स्नेह सुख भर दे बाहर में, अपने घर में। 
यौवन की ज्वाला वाले दे अभयदान पद दलितों को 
तेरे चरण शरण में आहत जग आश्वासन गहे। 


काव्याँश के प्रशन और हल 

( क ) ” यह अवसर है स्वर्णिम सुयुग है ” कवी ने किस अवसर को स्वर्णिम युग कहा है ?

हल – कवी ने तरुणाई को स्वर्णिम युग कहा जिसका अर्थ जवानी होता है। युवावस्था ही वह स्वर्णिम अवसर है जिसमे वह अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। 

( ब ) विश्व की बागडोर किसके हाथो में शोभा पाती है ? और  क्यों ?

हल – विश्व की बागडोर तरुण यानि की युवक के हाथो में शोभा पति झाई क्योकि युवावस्था में कठोरता , जोश उत्साह, शक्ति-सामर्थ्य होने चरम पर होते है। युवा में स्तिथियो को बदलने की क्षमता होती है। 

( स ) ”बाहर में” ‘अपने घर में’ क्या भरने के लिए कहा गया है ?

हल – बाहर में अपने घर में से आशय अंदर और बाहर सभी जगहों से है। कवी सभी जगह करुणा, शान्ति सुख प्रेम भरने को कह रहा है। 

( ड ) दे अभयदान दलितों को पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये ?

हल – दे अभयदान दलितों को पंक्ति से आशय है, सर्दियों से शोषित पद दलित वर्ग को तुम अपनी वीरता से भयरहित करके अभयदान दे दो। अर्थात उन्हें उन निकृष्ट परिस्थितिओ से निकालकर सुखी व निर्भय कर दो।  

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