इस आर्टिकल में आपके लिए अनुशासन का महत्व पर निबंध हिंदी में दिया गया है। यदि आप भी Anushasan Ka Mahatva पर Essay In Hindi में सर्च कर रहे है तो यह लेख आपके लिए काफी उपयोगी होने वाला है।
इस आर्टिकल में Essay On Discipline In Hindi प्रस्तावना सहित आपके लिए उपलब्ध है।
अनुशासन का महत्व | Anushasan Ka Mahatva
1. प्रस्तावना – स्वतंत्रता मानव के लिए वरदान है किन्तु स्वछतता नहीं। तंत्र के ऊपर स्व का बंधन ही स्वतंत्रता है। मनुष्य जो चाहे वह करने के लिए स्वतंत्र नहीं है, उसे देश तथा समाज के कुछ नियमो को मानना होता है, उनके नियंत्रण को स्वीकार करना होता है। नियमो को मानना और उनके अनुसार जीवन बिताना ही अनुशासन है।
2. अनुशासन का तात्पर्य – शासन शब्द से पूर्व ”अनु” उपसर्ग जोड़ने से अनुशासन शब्द बनता है। शासन अर्थात नियंत्रण के पीछे चलना अर्थात सामाजिक नियमो का पालन करते हुए जीवन बिताना ही अनुशासन है।
3. अनुशासन के प्रकार – अनुशासन दो प्रकार का होता है। एक बाह्य और दूसरा आंतरिक। देश, जाति, धर्म, समाज, संस्था आदि के नियमो को मानना तथा उनका पालन करना बाह्य अनुशासन कहलाता है। बाह्य अनुशासन दंड के डर से मान्य होता है। मनुष्य स्वयं बिना किसी भय के अपना कर्तव्य समझते हुए जब नियमो का पालन करता है तो इसे आंतरिक या आत्मानुशासन कहते है। आत्मनुशासन ही उत्तम प्रकार का अनुशासन होता है।
4. अनुशासनहीनता – अनुशासन यदि मनुष्य को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाता है तो अनुशासनहीनता उसको अवनति के गर्त में धकेल देती है। अनुशासन का पालन करने वाला उद्यंड नहीं होता। वह सौम्य स्वभाव का होता है। वह अपना हर कार्य समय पर पूरा करता है। उग्र व्यवहार और कटु भाषण अनुशासनहीनता की पहचान है। प्रत्येक स्थान पर अपनी ही चलाना, अनुचित और असभ्य व्यवहार करना, विनम्रता का आभाव होना आदि अनुशासनहीनता के लक्षण है।
5. अनुशासन की शिक्षा – अनुशासन की शिक्षा का आरम्भ परिवार से होता है। बच्चा यदि अपने बड़ो को अनुशासित व्यवहार करता देखता है तो वह बच्चा भी वैसा ही करता है। जिस परिवार या घर में छोटे बड़ो का आदर नहीं करते तथा बड़े छोटो की भावनाओ का ध्यान नहीं रखते उस घर में अनुशासन का आभाव होता है। इससे पारिवारिक वातावरण बिगड़ जाता है। परिवार से निकलकर बच्चा स्कूल जाता है। स्कूल के नियम कठोर होते है, उनके उलंघन से शिक्षा प्राप्ति में बाधा पड़ सकती है अनुशासन न मानने वाले अशिक्षित बच्चे समाज के लिए समस्या बनते है।
6. अनुशासन का महत्व – जीवन में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रकृति अपने समस्त कार्य अनुशासित रहकर ही करती है। मनुष्य भी अनुशाशन के अनुकूलन चलकर ही अपने जीवन में आगे बढ़ता है। अनुशासन हीनता लक्ष्य पाने में बाधा बनती है। अनुशासित मनुष्य सयंमी, मृदु और मितभाषी होता है। उसका व्यवहार दुसरो के प्रति सम्वेदना और सहानुभूति से भरा होता है। इससे वह समाज के सभी का स्नेहपात्र बन जाता है उसे सबका सहयोग मिलता है। अनुशासन मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। अतः हर एक नागरिक को अनुशासन का पालन करते हुए अनुशासित जीवन जीना चाहिए।
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