बहुत दिनों के बाद जब बनिया वापिस लौटकर आया तो उसने अपने मित्र से तराजू वापिस मांगी।
मित्र ने बड़े दुःख के साथ जवाब दिया ''क्या कहूं भाई तुम्हारी तराजू को तो चूहे खा गए। मुझे इसका बड़ा अफ़सोस है।
यह सुनकर बनिया मन ही मन बहुत हंसा और बोला सचमुच वह तराजू बहुत स्वादिष्ट थी इसलिए चूहों ने उसे जरूर खा लिया होगा। कोई बात नहीं। में तो अभी आया हूँ घर की सफाई भी अभी नहीं हुई है चलो आज तुम्हारे घर ही भोजन कर लूंगा।
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मित्र ने कहा ''जरूर जरूर तुम्हारा ही तो घर है''
भोजन करने से पहले नहाना जरूरी था। वह वणिकपुत्र अपने मित्र के पुत्र को साथ लेकर नदी में स्नान करने चला गया।
काफी देर बाद में लौटा तो उसके मित्र ने देखा कि उसका बेटा साथ है ही नहीं।
उसने पूछा अरे मेरा बेटा कहाँ है ?
बनिये ने बहुत उदास होकर कहा क्या बताऊ भाई एक बाज आया और तुम्हारे बेटे को लेकर उड़ गया।
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मित्र गुस्से में भरकर बोला यह कैसे हो सकता है ? एक छोटा सा बाज एक बच्चे को कैसे उड़ाकर ले जा है ? तुमने अवश्य मेरे बेटे को कही छिपा दिया है तुम मुझे ठगना चाहते हो ? में अभी राजा के पास जाता हूँ।
बनिये की तराजू - Intresting Story
और वह सचमुच ही राजदरबार पहुँच गया। मित्र भी उसके साथ गया। राजा ने उनकी कहानी सुनीं। फिर राजा ने बनिए से कहा नहीं यह सब झूठ है बच्चे को उठाकर उड़ा ले जाना बाज के लिए असंभव है। सच बताओ क्या बात है ?
बनिए ने हाथ जोड़कर निवेदन किया राजन ! जिस देश में लोहे की भारी तराजू को चूहे खा सकते है उस देश में बच्चे को तो क्या हठी को उड़ाकर ले जा सकता है।
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और बनिये के साथ जो कुछ हुआ था वह सब सभासदों को बता दिया।
राजा वह कहानी सुनकर खूब हंसा और उसने आदेश दिया कि बनिये का मित्र उसकी तराजू लोटा दे और वो उसका पुत्र लोटा दे।
इस तरह से बनिये ने अपनी अक्ल का प्रयोग करके तराजू को हासिल कर लिया।
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