Hanuman Chalisa pdf in Hindi
श्री राम सेवक hanuman chalisa in Hindi pdf में आपके लिए प्रस्तुत की गयी है। हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने पर सुख की प्राप्ति होती है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के सामने बैठकर श्री हनुमान जी की चालीसा पढ़ने से मन की मनोकामनाये पूरी होती है।
hanuman chalisa in hindi
।। श्री हनूमते नमः।।
श्री हनुमान चालीसा सम्पूर्ण पाठ
दोहा 1 :
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि।।
दोहा 2 :
बुद्धिहीन तनु जानिके
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि।।
दोहा 2 :
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार।।
श्री हनुमान चालीसा चोपाई :
hanuman chalisa in hindi writting
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा ।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा ।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति संगी ।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र ओ ध्वजा बिराजै ।
हाथ बज्र ओ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।।
संकर सुवन केसरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग बंदन ।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरि लांक जरावा ।
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।।
रामचंद्र के काज सँवारे ।
लाये सजीवन लखन जियाये।।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।
रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावै ।
अस कहि श्रीपंती कंठ लगावैं।।
अस कहि श्रीपंती कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रम्हादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
जैम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
जैम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।
लंकेस्वर भय सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मिली मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपे ।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरे सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
नासै रोग हरे सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
hanuman chalisa
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ।।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अंत कल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
और देवता चित न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
संकट कटे मिटे सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जै जै जै हनुमान गोसाई
कृपा करहु गुरु देव नाईं ।।
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ।।
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा ।।
दोहा :
पवनतनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप।
राम लखन सीता सहित ह्रदय बसहु सुर भूप।।
।।इति ।।
दोहा :
पवनतनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप।
राम लखन सीता सहित ह्रदय बसहु सुर भूप।।
।।इति ।।
अगर आप रिद्धि-सिद्धि,सुख और आनंद की प्राप्ति करना चाहते है तो नियमित रूप से स्नान करके इस हनुमान जी चालीसा इन हिंदी को पढ़े।
hanuman chalisa in hindi lyrics
संकट मोचन हनुमानाष्टक
मत्तगयन्द छंद
hanuman chalisa in hindi lyrics
संकट मोचन हनुमानाष्टक
मत्तगयन्द छंद
बाल समय रबी भक्षी लियो तब
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।
ताहि सो त्रास भयो जग को
यह संकट काहू सो जात न टारो ।।
देवन आणि करी बिनती तब
छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जगमे कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।। २ ।।
बालि की त्रास कपीस बसे गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चोंकि महा मुनि साप दियो तब
चाहिय कौन बिचार बिचारो ।।
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो। को ।।
अंगद के संग लेन गये सिय
खोज कपीस यह बेन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु
बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ।।
हरि थके तट सिंधु सबे तब
लाय सिया-सुधि प्रान उबारो। को-०३ ।।
रावण त्रास दई सिय सब
राक्षशी सो कहि सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाय महा रचनीचर मारो ।।
चाहत सिय असोक सो आगि सु
दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को-०४ ।।
बान लग्यो उर लछमिन के तब
प्राण तजे सूत रावन मारो।
ले गृह बेद्य सुषेन समेत
तबे गिरी द्रोन सु बीर ।।
आनि सजीवन हाथ दई तब
लछमिन के तुम प्राण उबारो। को-०५ ।।
रावन जुद्व अजान कियो तब
नाग कि फांस सबे सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबे दल
मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबे हनुमान जु
बंधन काटी सुत्रास निवारो। को-०६ ।।
बंधू समेत जबै अहिरावन
ले रघुनाथ पताल सिधारो।
देबहि पूजि भली बिधि सो बलि
देउ सबे मिली मंत्र बिचारो।।
जय सहाय भयो तब ही
अहिरावन सैन्य समेत संहारो। को-०७ ।।
काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसो नहि जात है टारो ।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो। को-०८ ।।
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।
ताहि सो त्रास भयो जग को
यह संकट काहू सो जात न टारो ।।
देवन आणि करी बिनती तब
छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जगमे कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।। २ ।।
बालि की त्रास कपीस बसे गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चोंकि महा मुनि साप दियो तब
चाहिय कौन बिचार बिचारो ।।
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो। को ।।
अंगद के संग लेन गये सिय
खोज कपीस यह बेन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु
बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ।।
हरि थके तट सिंधु सबे तब
लाय सिया-सुधि प्रान उबारो। को-०३ ।।
रावण त्रास दई सिय सब
राक्षशी सो कहि सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाय महा रचनीचर मारो ।।
चाहत सिय असोक सो आगि सु
दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को-०४ ।।
बान लग्यो उर लछमिन के तब
प्राण तजे सूत रावन मारो।
ले गृह बेद्य सुषेन समेत
तबे गिरी द्रोन सु बीर ।।
आनि सजीवन हाथ दई तब
लछमिन के तुम प्राण उबारो। को-०५ ।।
रावन जुद्व अजान कियो तब
नाग कि फांस सबे सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबे दल
मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबे हनुमान जु
बंधन काटी सुत्रास निवारो। को-०६ ।।
बंधू समेत जबै अहिरावन
ले रघुनाथ पताल सिधारो।
देबहि पूजि भली बिधि सो बलि
देउ सबे मिली मंत्र बिचारो।।
जय सहाय भयो तब ही
अहिरावन सैन्य समेत संहारो। को-०७ ।।
काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसो नहि जात है टारो ।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो। को-०८ ।।
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