दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa In Hindi
Durga Chalisa - माँ दुर्गा की चालीसा का पाठ जग प्रसिद्ध है। दुर्गा चालीसा के पाठ में माँ दुर्गा के कार्यो और उनके 108 रूपों का वर्णन किया गया है। दुर्गा चालीसा को माँ के नवरात्रो में खूब जोर शोर के साथ सुनाया जाता है।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहु लोक फैली उजियारी।।
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला।।
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे ।।
तुम संसार शक्ति लै किना।
पालन हेतु अन्न धन दीना ।।
अनपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गोरी शिवशंकर प्यारी ।।
शिव योगी सब तुम्हरे गुण गावै।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हे नित ध्यावे ।।
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाही ।।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजे मन आशा ।।
हिंगलाज में तुम्ही भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी ।।
मातंगी अरु धूमावती माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छीन भाल भव दुःख निवारणी ।।
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगरकोट में तुम्ही विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत ।।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन सहांरे ।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार महि अकुलानी ।।
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिंही सँहारा ।।
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब ।।
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम सदा पूजे नर-नारी ।।
प्रेम भक्ति से जो यश गावै।
दुःख दरिद्र निकट नहीं आवै ।।
ध्यावे तुम्हे जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताको छूटी जाई ।।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचरज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीती सब लीनो ।।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहू काल नहि सुमिरो तुमको ।।
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो ।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहि किन विलम्बा ।।
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कोन हरे दुःख मेरो ।।
आशा तृष्णा निपट सतावे।
रिपु मूरख मोहि डरपावै ।।
शत्रु नाश कीजे महारानी।
सुमिरो इकचित तुम्हे भवानी।।
करो कृपा हे मातु दयाला।
रिद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।
जब लगी जिऊँ दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश में सदा सुनाऊ ।।
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै ।।
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।
।।इति श्री दुर्गा चालीसा समाप्ति ।।
Durga Chalisa
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