Hindi Kahani : दोस्तों आज में आपके साथ एक ऐसी हिंदीं कहानी शेयर करने जा रहा हुआ जो वाकई जादुई कहानी जैसी प्रतीत होती है।
बचपन में मेरी माँ मुझे बहुत सारी कहानियां सुनाया करती थी। मेरी माँ की एक सुन्दर कहानी जो आज में आपके सामने पेश कर रहा हु वो मेरी माँ की सबसे सुन्दर कहानी है।
तो चलिए कहानी पढ़ना शुरू करते है
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एक समय की बात है एक गांव में एक बूढी औरत और उसका पति रहता था। उनके कोई संतान नहीं थी पर उनके पास एक भैस थी जिससे उनका गुजारा होता था। एक दिन उनके घर के पास में कुछ लड़के क्रिकेट खेल रहे थे। एक लड़के ने गेंद को बेट से मारा तो गेंद बूढी औरत की झोली में जा गिरी। बूढी औरत ने गेंद घर में आकर खोटे मे डाल दिया। वो औरत और उसका पति रात को खाना खाके सो गए। जब वो बूढी औरत छाछ बनाने के लिए दही की बाल्टी लेने के लिए खोटी में गयी तो वो अचम्भित रह गयी। उसने देखा खोटे में एक लड़का बैठा हुआ था।
बूढी औरत ने उस लड़के से कहा तू भूत है क्या ?
लड़के ने कहा नहीं दादी में तो आपका बेटा हु आपको याद होगा रात को आपने खोटे में गेंद डाली थी उस गेंद से ही में प्रकट हुआ हु।
बूढी औरत ने भगवान को धन्यवाद करते हुए कहा हमे बुढ़ापा का सहारा देने के लिए यह तुम्हारी ही लीला है प्रभु।
उसने बच्चे को बाहर निकाला और उसके पति के पास ले जाकर पूरी बात बताई। यह जानकर उसका पति बहुत खुश हुआ।
अब वो बूढी औरत और उसका पति बहुत खुश थे। उन्होंने उस लड़के का नाम दड़िया रख दिया क्योकि वो गेंद से ही पैदा हुआ था। दड़िया अब धीरे-धीरे बढ़ा होने लगा था।
दड़िया रोजाना भैस चराने जाता था। वो अपनी भैस को फसलों में खुली छोड़कर चराता जिसकी वजह से भैस अत्यधिक मोटी हो गयी तथा ज्यादा दूध भी देने लगी। उसके घरवालों ने इसका राज दड़िया से पूछा तो दड़िया ने सारी पोल खोल के रख दी। इस बात वो जोर-जोर से ठहाके लगाकर हंसने लगे।
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उस गांव में रामु नाम का एक सेठ भी रहता था। उसके पास भी एक भैस थी। उसने दड़िया की भैस की सकल देखते ही दड़िया के पास अपनी भैस को रखने का फैसला कर लिया। इसके बदले में रामु सेठ दड़िया को महीने के हिसाब से पैसे देने लगा। ददिया अब रामु सेठ की भैस को भी अपनी भैस के साथ चराने लगा। परन्तु चालाकी से वो अपनी भैस को खुली फसलों में चराता जबकि रामु सेठ की भैस की भैस के पेरो को बांध कर पुरे दिन खाई में रखता। कुछ दिनों तक दड़िया ऐसे ही करता रहा जिसके कारण रामु सेठ की भैस लगातार थकने लगी। एक दिन रामु सेठ ने सोचा की मेरी भैस इतनी कमजोर कैसे हो गयी। इस बात का पता लगाने के लिए वह जासूस बन गया। अगले दिन दड़िया रामु सेठ की भैस को लेकर चराने के लिए निकल गया उनके पीछे-पीछे रामु सेठ भी चल पड़ा। खेतो के पास जाकर दड़िया ने अपनी भैस को फसलों में छोड़ दिया जबकि सेठ की भैस के पेरो को बांधकर खाई में धकेल दिया जासूस रामु सेठ दड़िया की इस हरकत को देखकर गुस्से से आग-बबूला हो गया और उसने सारा गुस्सा दड़िया की भैस पर निकाल दिया। इस प्रकार सेठ ने दड़िया की भैस को इतना पीटा कि उसकी वही पर मृत्यु हो गयी।
अंतत रामु सेठ दड़िया को कहने लगा लातो का भूत बातो से नहीं मानता। दड़िया की भैस मर जाने के कारण वह डर गया और दो से तीन दिन तक घर पर नहीं गया।
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तीन दिन के बाद दड़िया अपनी मरी हुई भैस की हड्डियों को एक कपड़े में बांधकर उन्हें बेचने के लिए निकल गया। रास्ते में जाते जाते उसे रात हो गयी थी। वह एक बरगद के निचे जाकर बैठ गया। रात को सोने से पहले उसने हड्डियों से भरे हुए कपड़ो को बरगद के ऊपर ले जाकर रख दिया। बरगद के पास चार चोरी करके आ रहे थे उनकी आवाजों को सुनकर दड़िया बरगद के ऊपर चढ़ गया। चारो चोर बरगद के निचे बैठकर चोरी का माल बाँटने लगे। चोर आपस में कह रहे थे इस बरगद के निचे विशाल भूत रहते है। यह बात दड़िया सुन गया उसने मोके का फायदा उठाने के लिए हड्डियों से भरे हुए कपड़े को खोलकर बरगद के ऊपर से चोरो के ऊपर गिरा दिया और जोर की आवाज में कहने लगा अगर तुम तुम्हारी जान बचाना चाहते हो तो यह सारा माल यही पर छोड़ो और भाग जाओ। चोर हड्डियों को देखकर पहले से ही थर-थर कांप रहे थे ऊपर से आवाज आते ही वो सारा माल छोड़कर भाग गए। दड़िया बरगद से उतरकर सारा सोना चांदी लेकर घर आ गया।
घर आने के बाद उसके बूढ़े माता-पिता को सारी घटना के बारे में बताया तो उसके घर वाले बहुत उदास हुए पर सोना-चांदी दिखाते ही उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा।
मित्रो यह कहानी ( kahani ) मेरे बचपन की सबसे पसंदिन्दा कहानियो में से एक है जिसे मेने कहानी पढ़ने वाले हर एक व्यक्ति के लिए शेयर किया। कहानी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करे।
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